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सीटी की सरगम

छुक छुक की छन छन

से चहकती बयार,

सीटी की सरगम

के बजते से तार।

लोगों की बैगों की

लंबी क़तार,

लगते लगाते

लग जाते अम्बार।

तिनका भी तुनका भी

है लद-फद सवार,

अब आए तो जाओगे

सितारों के पार।

सितारों को गिनता ये

सफ़र फ़िर एक बार,

सफ़र के सिरहाने

कुछ यादें शुमार।

लम्हों में छुप कर

ये यादें हज़ार,

सुनाती कहानी

सुनाती गिटार।

कहलवाया कि हम हैं

सोने को तैयार,

सुनाना बजाना,

है बिल्कुल बेकार।

यादें बोली कि हम हैं

छुटपन के यार,

सोने न देंगें

न मानेंगें हार।

हम बोले के रखो

कोशिश बरक़रार,

कराते हैं तुम पर

अपने सपनों का वार।

पर यादों में सपने

दिख जाते चंद बार,

और सपनों की यादें

भूल जाती बार बार।

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