छोटे बड़े शहर
- शहर ग़र्द
- May 31, 2020
- 1 min read

एक छत, आठ किवाड़ें
चार कमरे, लाख दीवारें
बारह महीने, एक मौसम
हज़ार एहसास,एक औ-सम
बाइस मशक़्क़त, एक रसीद
सात दिन, दो उम्मीद
एक मुसाफ़िर, चार पहिए
लाख मुसाफ़िर, खड़े रहिए
हवा से बात, हवा की बात
धूप बिना दिन, तारों बिना रात
आलीशान, चालीस मंज़िल
रहना-खाना, होटल का बिल
खुले दिमाग़, बंद दिल
भागम भाग, रुकना मुश्किल
मेरा शहर तेरा शहर
दो पहर, रात दोपहर



Comments