कभी धूप तो कभी छांव शहर ग़र्द Aug 3, 20181 min readUpdated: Aug 5, 2018 हम चमकते रहे, वो बरसती रही। पानी जलता रहा, आग बुझती रही। आसमान की लड़ाई, ज़मी पे चलती रही। बादल झुलस गए, पर धूप तरसती रही।
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